क्या वक्फ बोर्ड बचाने की जंग में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड हो गया खत्म ै?जब पूरा नेतृत्व खामोश, तब अकेले मैदान में डटे मौलाना डॉ. कल्बे जवाद नकवी

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*SRM Voice Desk* 

भारत सरकार द्वारा वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024 लाने की तैयारी मुस्लिम समाज के लिए एक बड़ा झटका है। यह विधेयक पारित होने के बाद देशभर की वक्फ संपत्तियों को कानूनी तौर पर खत्म किया जा सकता है, जिससे हजारों मस्जिदें, मदरसों, कब्रिस्तानों, दरगाहों और धार्मिक संपत्तियों का अस्तित्व संकट में आ जाएगा।

मगर अफसोस की बात यह है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB), जो भारतीय मुस्लिम समाज की सबसे बड़ी धार्मिक और कानूनी संस्था है, इस संकट के समय पूरी तरह निष्क्रिय नजर आ रहा है। यह वही AIMPLB है, जिसने तीन तलाक, बाबरी मस्जिद और समान नागरिक संहिता जैसे मामलों में बड़े-बड़े दावे किए थे, लेकिन जब मुसलमानों की सबसे बड़ी संपत्ति—वक्फ—को खत्म करने की योजना बनाई जा रही है, तो यह संगठन केवल कागजी विरोध और प्रेस बयान जारी करने तक ही सीमित रह गया है।

AIMPLB की नाकामी: धरना प्रदर्शन भी नहीं करा सका बोर्ड

AIMPLB ने 10 मार्च को संसद के बजट सत्र के पहले दिन जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन की घोषणा की थी, लेकिन फिर इसे अचानक टाल दिया गया। पहले सुप्रीम कोर्ट की अनुमति का बहाना, फिर होली का कारण, और फिर पुलिस परमिशन न मिलने की दलील देकर AIMPLB नेतृत्व ने खुद को इस मुहिम से दूर कर लिया।

हालांकि, जानकारों का कहना है कि AIMPLB ने सरकार के दबाव में आकर प्रदर्शन को स्थगित किया। AIMPLB का यह रवैया दर्शाता है कि उसके पास न तो कोई ठोस रणनीति है और न ही कोई मजबूत नेतृत्व, जो इस मुद्दे पर सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ सके।

सूत्रों के मुताबिक, AIMPLB ने केवल 300 लोगों के लिए 4 घंटे की अनुमति मांगी थी, जबकि सोशल मीडिया पर इसे हजारों लोगों के प्रदर्शन के रूप में प्रचारित किया गया। जब पुलिस ने अनुमति देने से इनकार कर दिया, तो प्रदर्शन को पहले 13 मार्च, फिर 17 मार्च तक टाल दिया गया। AIMPLB का यह रवैया बताता है कि बोर्ड सरकार से टकराने के मूड में नहीं है, बल्कि सिर्फ प्रेस कॉन्फ्रेंस और मीटिंग्स तक खुद को सीमित रखना चाहता है

मुस्लिम नेतृत्व की खामोशी: वक्फ संपत्तियों पर मंडराता खतरा

वक्फ संपत्तियों को बचाने के लिए AIMPLB ने न कोई ठोस कानूनी कदम उठाया, न किसी राजनीतिक दल पर दबाव बनाया, और न ही मुस्लिम सांसदों को संगठित किया। AIMPLB के वरिष्ठ सदस्य और बड़े उलेमा इस गंभीर मुद्दे पर सिर्फ बयानबाजी कर रहे हैं।

बिहार में AIMPLB के सदस्य मौलाना अनिसुर रहमान कासमी, जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं, ने न तो कोई बड़ा विरोध प्रदर्शन किया और न ही सरकार पर कोई दबाव बनाया। सूत्रों के अनुसार, एक बड़े मौलाना ने वक्फ संपत्तियों के संरक्षण की मांग करने के बजाय अपने निजी ट्रस्ट के लिए दो एकड़ जमीन मांग ली!

आंध्र प्रदेश में AIMPLB महासचिव मौलाना फजलुर्रहीम मुजद्दिदी की हैसियत  देखिए इनके नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से मिलने के लिए 4 घंटे इंतजार करता रहा, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद की चुप्पी

जमीयत उलेमा-ए-हिंद, जो बड़ी जनसभाओं और विरोध प्रदर्शनों के लिए जानी जाती है, इस मुद्दे पर पूरी तरह चुप्पी साधे हुए है। मौलाना अरशद मदनी ने केवल इतना कहा कि "अगर वक्फ कानून लागू होता है, तो हम अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।" यह वही रवैया है, जिससे बाबरी मस्जिद का मामला अदालत में हार गया था।

एकमात्र मर्दे मुजाहिद: मौलाना डॉ. कल्बे जवाद नकवी साहब की ऐतिहासिक जंग

जब पूरा मुस्लिम नेतृत्व खामोश है, तब भारत की सुप्रीम रिलीजियस अथॉरिटी आफ़ताबे शरीयत मौलाना डॉ. कल्बे जवाद नक़वी साहब ही एकमात्र नेता हैं, जिन्होंने खुलकर वक्फ बिल का विरोध किया है।

सेव वक्फ इंडिया मिशन के अलंबरदार के रूप में मौलाना कल्बे जवाद साहब ने आर-पार की लड़ाई छेड़ दी है। उन्होंने खुले आम बयान देकर, सरकार को चुनौती देकर और हजारों लोगों के साथ प्रदर्शन करके साबित कर दिया कि वे वक्फ संपत्तियों की हिफाजत के लिए किसी भी कुर्बानी से पीछे नहीं हटेंगे

मौलाना कल्बे जवाद साहब के ऐतिहासिक कदम

  1. लखनऊ, दिल्ली, पटना और अन्य शहरों में विशाल प्रदर्शन
  2. वक्फ संपत्तियों की रक्षा के लिए अदालत जाने की चेतावनी
  3. सरकार पर दबाव बनाने के लिए राजनीतिक दलों और सांसदों से मुलाकात
  4. मुस्लिम समुदाय को जागरूक करने के लिए सभाएं और भाषण
  5. वक्फ संपत्तियों की बिक्री और अवैध कब्जे को रोकने के लिए कानूनी लड़ाई

मौलाना कल्बे जवाद साहब ने साफ कहा है कि "अगर आज वक्फ संपत्तियों को बचाने के लिए खड़ा नहीं हुआ गया, तो आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी।"

क्या AIMPLB का खात्मा तय है?

AIMPLB की निष्क्रियता ने न केवल वक्फ संपत्तियों को खतरे में डाल दिया है, बल्कि यह पूरे भारतीय मुसलमानों की सामाजिक और धार्मिक सुरक्षा पर भी सवाल खड़ा करता है।

अब सवाल यह उठता है:

  1. क्या ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का खात्मा हो चुका है?
  2. क्या मुस्लिम समुदाय को एक नया नेतृत्व तलाशने की जरूरत है?
  3. क्या मौलाना डॉ. कल्बे जवाद नकवी साहब ही वक्फ संपत्तियों के असली संरक्षक हैं?

अगर AIMPLB और अन्य मुस्लिम संगठन इसी तरह निष्क्रिय रहे, तो आने वाले वर्षों में भारत में वक्फ संपत्तियों का पूरी तरह सफाया हो सकता है। अब वक्त आ गया है कि पूरा मुस्लिम समुदाय एकजुट होकर मौलाना डॉ. कल्बे जवाद नकवी साहब के नेतृत्व में इस आंदोलन को समर्थन दे, ताकि वक्फ संपत्तियों की रक्षा की जा सके और आने वाली पीढ़ियों के लिए इस्लामी धरोहर को बचाया जा सके

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