बाराबंकी की धरती इन दिनों सिर्फ खेती नहीं, कर्म-कांड भी उगा रही है — और इस बार हल चलाया है तहसील रामसनेहीघाट के लेखपाल दीपचंद्र श्रीवास्तव ने, जिन्होंने अपने ही हाथों रिश्वत लेकर खुद को वायरल गुटका की तरह फैला दिया।
सोशल मीडिया पर तैरते एक वीडियो में देखा गया कि श्रीवास्तव जी ‘फाइल के नीचे’ जो छुपा रहे थे, वो दरअसल नकदी का नादिर शाह था। रिश्वत लेते पकड़े जाने पर उन्होंने न कोई सफाई दी, न ही कोई शर्म। बस बैठे रहे यूं जैसे कह रहे हों –
“कैमरा है तो क्या हुआ, परंपरा तो निभानी पड़ेगी।”
घटना की रील टाइम गंभीरता को देखते हुए एसडीएम रामसनेहीघाट ने ताबड़तोड़ एक्शन लिया — लेखपाल जी को तत्काल सस्पेंड कर "रजिस्ट्रार कानूनगो ध्यान केंद्र" में ट्रांसफर कर दिया गया है, जहाँ अब वो फाइलों के बीच आत्मचिंतन करेंगे कि अगली बार कैमरे की तरफ पीठ करके लेना चाहिए था।
डीएम बाराबंकी ने मामले की पुष्टि अपने फेसबुक की डिजिटल चौपाल पर करते हुए लिखा:
"भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं। वीडियो बना, कार्रवाई हुई। जनता जाग रही है।"
(साथ में तीन सरकारी हैशटैग भी चिपकाए गए – @CMOfficeUP @UPGovt @InfoDeptUP)
सूत्रों का कहना है कि लेखपाल साहब ने suspension letter पढ़ते हुए धीमे से कहा:
"रिश्वत तो ली थी, पर वायरल हो जाना कहाँ लिखा था किस्मत में?"
अब पूरे जिले में चर्चा है —
"क्या रिश्वतखोरी में भी अब कैमरा फ्रेंडली होना ज़रूरी हो गया है?"
और
"लेखपाल जी अगली बार tripod साथ रखेंगे?"
फिलहाल, बाराबंकी प्रशासन सतर्क है… और लेखपाल साहब "सस्पेंशनासन" में लीन हैं।