"इल्म से रोशन हो मुल्क और मज़हब: मौलाना सैयद अशरफ़ अली गरवी — ग्रांड रिलिजियस अथॉरिटी आयतुल्लाह अली सीस्तानी साहब के भारत के नुमाइंदे के ऑफिस की जानिब से होनहार तलबा की लखनऊ में "जलसा ए तजलील व तकरीम"

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रिपोर्ट: हसनैन मुस्तफा | लखनऊ | 24 मई 2025

लखनऊ के सज्जाद बाग़, बाबुल नजफ़ में उस वक़्त बेहद रौशन और पुरनूर माहौल था जब हाई स्कूल और इंटरमीडिएट में कामयाबी हासिल करने वाले होनहार बच्चों की एक ख़ास और यादगार तक़रीब में हौसला अफ़ज़ाई की गई। ये प्रोग्राम आयतुल्लाह उल-उज़मा सैयद अली हुसैनी सीस्तानी दाम ज़िल्लुह के दफ़्तर-ए-नुमाइंदगी की तरफ़ से मुनअक़िद किया गया।

शुरुआत हदीस-ए-क़िसा और इल्मी तक़रीरों से

इस "जलसा ए तजलील व तकरीम" का आगाज़ हदीस-ए-क़िसा से हुआ जिसे मौलाना मोहम्मद अली ने पेश किया। इसके बाद एक के बाद एक कई ओलमा-ए-कराम ने इल्म की अहमियत और तालीम की ताक़त पर रौशनी डाली।

निज़ामत के फ़रायज़ हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी ने अंजाम दिए। इस मौके पर जिन उलमा ने शिरकत की उनमें मौलाना सैयद मुहम्मद अली साहब (उस्ताद, जामिया इमामिया, तज़ीमुल मकातिब), मौलाना शब्बीर साहब,मौलाना मुन्तज़िर मेहदी,मौलाना हसन अब्बास मारूफी,मौलाना तंज़ीम हैदर,मौलाना शेख हाशिम नजफी साहब थे!
इसके अलावा तहलका टुडे के एडिटर सैयद रिज़वान मुस्तफा और समाजसेवी और अंबर फाउंडेशन के चेयरमैन सैयद वफ़ा अब्बास ने भी अपनी मौजूदगी से जलसे की अहमियत बढ़ाई।

आयतुल्लाह अली सीस्तानी साहब के नुमाइंदे हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना सैयद अशरफ़ अली गरवी ने कामयाब तलबा और तालिबात को मुबारकबाद पेश कर मोमेंटो और प्रशस्ति  पत्र देते हुए कहा:

"हमारे नौजवान जिस भी मैदान में कदम रखें, उसमें ऐसी महारत हासिल करें कि मुल्क और मज़हब दोनों को उन पर फख्र हो। वो बोझ नहीं, ज़रूरत बनें।"

उन्होंने ये भी कहा कि आज के दौर में तालीम सिर्फ़ नौकरी के लिए नहीं, बल्कि समाज और इंसानियत की खिदमत के लिए होनी चाहिए।

तालीम के बारे में आयतुल्लाहिल उज़मा सीस्तानी साहब का पैग़ाम भी पढ़ा गया!

मौलाना गरवी ने आयतुल्लाह अली सीस्तानी दाम  ज़िल्लहु साहब का पैग़ाम पेश करते हुए कहा:

 "हमारे बच्चों को दीन और दुनिया दोनों की तालीम से लैस होना चाहिए ताकि जहां भी हों, वो दीन की सही तर्जुमानी कर सकें और मज़हब का दिफा भी कर सकें।"

होनहार बच्चों की हौसला अफ़ज़ाई

लखनऊ और उसके आसपास के इलाक़ों से आए दर्जनों तलबा और तालिबात को इनआमात और शील्ड्स देकर उनकी मेहनत और कामयाबी का एहतराम किया गया। बच्चों के साथ आए वालिदैन और सरपरस्तों की आँखों में खुशी और फख्र साफ़ नज़र आ रहा था।

दुआ और समाजी पैग़ाम

इस जलसे में सिर्फ़ इनाम नहीं बाँटे गए, बल्कि तालीम की हकीकत और समाज की जिम्मेदारियों पर भी ग़ौर किया गया। मौलाना अशरफ़ गरवी ने कहा:
"अगर इल्म इंसान के किरदार को नहीं बदलता, तो वो अधूरा है। नौजवानों को इल्म के साथ-साथ अख़लाक़, सोच और समाजी खिदमत को भी अपनाना चाहिए।"

आख़िर में मौलाना अली हाशिम आब्दी की दुआ के साथ प्रोग्राम का इख़्तिताम हुआ, जिसमें मुल्क की सलामती, तलबा के रोशन मुस्तक़बिल और समाज में अम्न-ओ-इत्तेहाद की दुआ की गई।

लखनऊ के इस "जलसा ए तजलील व तकरीम" ने साफ़ कर दिया कि जब तालीम, मज़हब और अख़लाक़ एक साथ चलें तो न सिर्फ़ कामयाबी मिलती है, बल्कि एक बेहतर इंसान और बेहतर समाज की तामीर भी होती है।
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