मुझे असीर करो या मेरी जुबा काटो,मेरे खयालों को बेड़ी पिन्हा नहीं सकते! डीएम साहब! क्या जांच और रिकवरी एफआईआर जेल सिर्फ पत्रकारों के लिए? भू-माफियाओं और भ्रष्टाचारियों पर कब होगी कार्रवाई? भ्रष्टाचारियों भी माफियाओं,वक्फ खोरों के खिलाफ आवाज उठाने वाले पत्रकारों पर प्रशासनिक उत्पीड़न, और गुंडों के जुल्म की कहानी एपिसोड - 1

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बाराबंकी: एक तरफ प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार उजागर हुआ है, तो दूसरी तरफ भू-माफियाओं का आतंक बढ़ता जा रहा है। लेकिन जिला प्रशासन की कार्रवाई का निशाना सिर्फ पत्रकार ही बन रहे हैं। सवाल यह उठता है कि डीएम साहब को जांच और रिकवरी के लिए सिर्फ पत्रकार ही नजर आते हैं, जबकि तहसील के भ्रष्ट कर्मचारी, DUDA अधिकारी और अवैध कब्जेदारों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं होती?

प्रधानमंत्री आवास योजना में घोटाला, लेकिन निशाने पर सिर्फ पत्रकार!

बाराबंकी जिले में सैकड़ों फर्जी लाभार्थियों ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाखों रुपये डकार लिए, लेकिन कार्रवाई रिकवरी के आदेश सिर्फ उन्हीं तीन मामलों में हुई जो पत्रकारों से जुड़े थे। जबकि हकीकत ये थी कि सबने निर्माण करा लिए कुछ बीच में लेबर इशू को लेकर काम रुका था,लेकिन फिर भी बगैर जांच कराए ये आदेश जारी किए गए जिसमें

✅ दीपक मिश्र (ग्राम नेवादा) – सरिता मिश्र के नाम से योजना के तहत ₹2.5 लाख की सहायता राशि मिली, जबकि उनके पास पहले से नवाबगंज तहसील के नेवाहा गांव में एक बड़ा मकान मौजूद है।

✅ सविता मिश्रा (पत्नी – राम कुमार मिश्रा, निवासी मंझियावां, हालपता बंकी, शिवपुरी) – पत्रकार परिवार से जुड़ी होने के कारण फर्जी जीओ टैगिंग के जरिए योजना का लाभ लेने का आरोप, जबकि इस तरह की गड़बड़ी में सैकड़ों अन्य लोग भी शामिल हैं।

✅ निरंकार जायसवाल (कटरा मुहल्ला, नगरपालिका बाराबंकी) – पत्रकार मानसी जायसवाल के नाम से योजना के तहत पहली किस्त ₹50,000 और दूसरी किस्त ₹1.5 लाख प्राप्त करने का आरोप, लेकिन अन्य लाभार्थियों पर कोई चर्चा नहीं।

भ्रष्टाचार में शामिल अधिकारी बच रहे, सिर्फ पत्रकार फंसाए जा रहे

प्रधानमंत्री आवास योजना में बड़े पैमाने पर DUDA अधिकारियों और तहसील कर्मियों की मिलीभगत से फर्जी लाभार्थियों को पैसा जारी किया गया, लेकिन—

❌ भ्रष्टाचार में शामिल तहसील कर्मचारियों और सर्वेयरों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

 ❌ सैकड़ों अन्य फर्जी लाभार्थियों के नाम उजागर होने के बावजूद उन पर कोई जांच नहीं हुई।

 ❌ फर्जी जीओ टैगिंग करने वाले सर्वेयरों को बचाने की कोशिश जारी है।


जब प्रशासन को ‘धर्म’ दिखता है, लेकिन ‘भ्रष्टाचार’ नहीं!

कुछ दिनों पहले पत्रकार कामरान अल्वी को सिर्फ फेसबुक पर एक फोटो शेयर करने की वजह से गिरफ्तार कर लिया गया।

➡️ यह वही प्रशासन है, जो प्रधानमंत्री आवास योजना में करोड़ों के घोटाले को नजरअंदाज कर रहा है।

 ➡️ यह वही प्रशासन है, जो भ्रष्ट तहसील कर्मियों को संरक्षण देता है।

 ➡️ यह वही प्रशासन है, जिसे सोशल मीडिया पर धर्म पर छींटाकशी करने वाले ट्रोल्स नहीं दिखते, लेकिन पत्रकारों की पोस्ट पर तुरंत कार्रवाई करता है!

कामरान अल्वी का मामला यह साबित करता है कि यदि आप भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलेंगे, तो आपको या तो झूठे केस में फंसा दिया जाएगा या जेल में डाल दिया जाएगा।

कब्रिस्तान खालिदा फ़ाज़ली कमरिया बाग के मामले में कुछ सभासदों ने भू माफिया से मिलकर 10 रुपए के स्टाम्प पेपर पर समझौता करोड़ों की जमीन का कर लिया,पत्रकारों ने जब छापा,जांच हुई लेखपाल ने fir की तहरीर कोतवाली में दी,लेकिन मुकदमा दर्ज नहीं हुआ ,इस मामले में जब मामला तूल पकड़ा तो वक्फ खोर गैंग की तरफ से उल्टे पत्रकार के खिलाफ एफआईआर लिख कर भू माफियाओं को क्लीन चिट दी गई। ये कारनामा भ्रष्टाचार के डूबे थाना प्रभारियों का है जहां सारे साक्ष्य होने के बाद तहसील और लेखपाल की कोशिशों के बाद कोतवाली पुलिस ने भू माफिया और सभासदों के गैंग के खिलाफ मुकदमा नहीं दर्ज किया।

बाराबंकी में भू-माफियाओं का आतंक, खुलेआम गुंडागर्दी

बाराबंकी में भू-माफिया प्रशासन और अदालत को धता बताकर जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं। विरोध करने पर बुलडोजर से मकान गिरा दिए जाते हैं और खुलेआम जान से मारने की धमकी दी जाती है।

पीड़ित मो. रईस सिद्दीकी ने आरोप लगाया है कि जसमीत सिंह, मनप्रीत सिंह, रविन्द्र सिंह (पुत्रगण कल्याण सिंह), सरदार संतोष सिंह (पुत्र ईश्वर सिंह) सहित 4-5 अज्ञात लोगों ने 9 फरवरी 2025 को दोपहर 12 बजे जबरन उनकी भूमि पर कब्जा किया और जेसीबी (UP32 HN 6040) से उनके मकान को गिरा दिया।

जब स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया, तो इन माफियाओं ने गाली-गलौज करते हुए जान से मारने की धमकी दी।

"थाना, अदालत, प्रशासन सब इन माफियाओं की मुठ्ठी में..."

इन भू-माफियाओं का आतंक इतना बढ़ चुका है कि वे खुलेआम दावा करते हैं कि "थाना, अदालत और प्रशासन सब हमारे इशारे पर चलता है।"

ये माफिया हाईकोर्ट में रिट डालकर अधिकारियों और कर्मचारियों को फंसाने की धमकी देते हैं।

✅ अदालतों में भ्रष्ट जजों को खरीदने और वकीलों से मारपीट करने के आरोप।

 ✅ पीड़ितों को न्याय नहीं मिलने दिया जाता।

 ✅ योगी सरकार की सख्ती के बावजूद खुलेआम गुंडागर्दी।


भ्रष्टाचार और भू-माफिया राज पर प्रशासन की चुप्पी, पत्रकारों पर कार्रवाई!

यह भू-माफिया लंबे समय से अवैध कब्जों और सरकारी जमीनों की खरीद-फरोख्त में लिप्त है—

✔️ बस अड्डे के पास पटेल चौराहे पर अवैध मार्केट – प्रशासन ने इसे गिराने का आदेश दिया, लेकिन सेटिंग के जरिए बचा लिया गया। 

✔️ वन विभाग की जमीन पर कब्जा – सरकारी संपत्ति पर जबरन निर्माण कार्य किया जा रहा है। 

✔️ वक्फ की जमीन की बिक्री – रसूलपुर में स्थित कल्याण मेडिकल स्टोर की दुकान को बेचा गया। 

✔️ लाजपत नगर में वक्फ नवाब अमजद अली की जमीन पर अवैध मकान – बिना नक्शा पास कराए मकान बनाकर बेच दिया गया। 

✔️ अब शांति बिहार में लोगों के मकानों पर बुलडोजर – लोगों की निजी संपत्तियों पर अवैध तरीके से कब्जा कर उन्हें तोड़ा जा रहा है।

उल्टे भू-माफियाओं की शिकायत पर पत्रकारों को धमकियां!

भू-माफियाओं की इन करतूतों को उजागर करने पर, अब पत्रकारों को झूठे मुकदमों में फंसाने की धमकियां मिल रही हैं।

📌 पत्रकारों के खिलाफ कोतवाली में प्रार्थना पत्र देकर फर्जी केस करने की साजिश।

 📌 एक मोबाइल नंबर से धमकी – "आकर मिल ले नहीं तो मुकदमा दर्ज किया जाएगा।"

अब सवाल यह उठता है कि क्या डीएम साहब सिर्फ पत्रकारों को ही सजा देंगे?

✅ क्या फर्जी लाभार्थियों से सरकारी धन की वसूली होगी?

 ✅ क्या DUDA और तहसील के भ्रष्ट अधिकारियों पर केस दर्ज होगा?

 ✅ क्या पत्रकारों के उत्पीड़न पर रोक लगेगी? 

✅ क्या भू-माफियाओं पर बुलडोजर चलेगा?

अब बाराबंकी की जनता योगी सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग कर रही है। प्रशासन कब तक इन भू-माफियाओं और भ्रष्टाचारियों को बचाएगा? या फिर यह गुंडाराज यूं ही जारी रहेगा?

डीएम साहब अब आप से उम्मीद है आप ही कुछ कर सकते है।

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