आंबेडकर-गांधी की वैचारिकी से बनेगा भारत का नया समाज: मधु लिमये स्मृति व्याख्यान में बोले रघु ठाकुर,गांधी भवन में मधु लिमये की 104वीं जयंती पर श्रद्धांजलि सभा, वक्ताओं ने किए संस्मरण साझा

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बाराबंकी।देश की राजनीति में सिद्धांत और संघर्ष के प्रतीक समाजवादी चिंतक मधु लिमये की 104वीं जयंती पर गांधी भवन में गांधी जयंती समारोह ट्रस्ट के तत्वावधान में मधु लिमये स्मृति व्याख्यान का आयोजन हुआ। इस अवसर पर देश के प्रमुख समाजवादी नेताओं और चिंतकों ने उनके योगदान को याद करते हुए कहा कि भारत को यदि एक समतामूलक और न्यायसंगत समाज बनाना है, तो गांधी और आंबेडकर की वैचारिकी को साथ लेकर चलना होगा, जैसा कि मधु लिमये ने अपने जीवन में किया।

सभा की अध्यक्षता वरिष्ठ समाजवादी विचारक राजनाथ शर्मा ने की। उन्होंने मधु लिमये के साथ बिताए अनेक प्रेरक क्षणों को साझा करते हुए कहा कि “मधु जी विचार और आंदोलन के जीवंत प्रतीक थे, उन्होंने न किसी से समझौता किया और न ही सिद्धांतों से हटे।”

लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के संरक्षक रघु ठाकुर ने मुख्य वक्ता के तौर पर कहा, “मधु लिमये संसद में तर्कपूर्ण बहस की परंपरा के वाहक थे। वे मानते थे कि गांधी और आंबेडकर के विचारों का समन्वय ही भारत को सामाजिक न्याय और आत्मबल के रास्ते पर ले जा सकता है। आज मजदूर दिवस की पृष्ठभूमि में कहना चाहता हूं कि मजदूर आंदोलन खत्म हो चुका है, और मजदूर फिर पूंजीवाद का गुलाम बनता जा रहा है।”

पूर्व विधान परिषद सदस्य राजेश यादव ‘राजू’ ने कहा कि “मधु लिमये अपने विचारों और सिद्धांतों पर अडिग थे। नेताजी मुलायम सिंह यादव भी उनका बेहद सम्मान करते थे। वे गोवा मुक्ति आंदोलन के नायक थे और जेल भी गए।”

समाजवादी अध्येता मुकेश चंद्रा ने उनके जीवन की सादगी और निष्ठा का ज़िक्र करते हुए बताया कि मधु लिमये ने कभी सांसद पेंशन नहीं ली और कार्यकाल खत्म होते ही सरकारी आवास खाली कर दिया।

नवीन तिवारी (संयुक्त सचिव, आचार्य नरेंद्र देव समाजवादी संस्थान) ने कहा कि “मधु लिमये सिद्धांत और व्यवहार का संतुलित स्वरूप थे। उन्होंने कभी राजनीति को सत्ता की सीढ़ी नहीं बनाया।”

सेवा सोसाइटी के अध्यक्ष मोहम्मद उमैर किदवई ने उन्हें समाजवादी आंदोलन की दूसरी पीढ़ी का अग्रदूत बताते हुए कहा कि “वो आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।”

कार्यक्रम का संचालन पाटेश्वरी प्रसाद ने किया। अंत में समाजवादी लोहिया वाहिनी के पूर्व जिलाध्यक्ष कुंवर ज्ञान सिंह यादव ने सभी का आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर कई प्रमुख सामाजिक व राजनीतिक हस्तियां मौजूद रहीं, जिनमें शामिल हैं: वरिष्ठ अधिवक्ता शऊर कामिल किदवई, आम आदमी पार्टी के जिलाध्यक्ष जुगराज सिंह, कांग्रेस नेता शिवशंकर शुक्ला, तौकीर कर्रार, मृत्युंजय शर्मा, बलराम यादव, नीरज दूबे, हुमायूं नईम खान, वासिक वारसी, जमील उर रहमान, धनंजय शर्मा, अशोक जायसवाल, श्रीनिवास त्रिपाठी, समाजवादी नेता दानिश सिद्दीकी, जिया उर रहमान, अनवर महबूब, सुरेश गुप्ता, मनीष यादव आदि।

कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं का अभिनंदन भी किया गया, जिसमें विशेष रूप से रघु ठाकुर, नवीन तिवारी, मुकेश चंद्रा, और रमेश शर्मा का सम्मान हुआ।

यह व्याख्यान न केवल एक श्रद्धांजलि समारोह था, बल्कि यह आज की राजनीति को मधु लिमये के सिद्धांतों की ओर लौटने का संदेश भी देता रहा—जहाँ सादगी, स्पष्टता और सच्चाई को सर्वोच्च माना जाता था।


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