*25 दिसंबर को पुण्य तिथि*
नगराम की सरज़मीं पर एक ऐसा नाम था जिसने अपनी नेकदिली, इंसानियत और तहजीब से न केवल अपने परिवार बल्कि समाज के दिलों में एक खास जगह बनाई। वह नाम था सैयद यूसुफ अब्बास रिज़वी नगरामी उर्फ नैय्यर चचा, जो नगराम की आन, बान और शान माने जाते थे। 25 दिसंबर 2019 को, वह इस फानी दुनिया को अलविदा कह गए, लेकिन उनके किरदार की रौशनी आज भी कायम है। 2024 में उनकी रुखसती को 5 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन उनके नेक अमल और अदब की चर्चा आज भी उतनी ही ताजा है।
*अपनी सौतेली विक्षिप्त मां की खिदमत: इंसानियत की मिसाल*
सैयद यूसुफ अब्बास रिज़वी नगरामी उर्फ नैय्यर चचा की जिंदगी का एक ऐसा पहलू है जो इंसानियत और परवरदिगार के प्रति उनके बेपनाह इखलास को बयां करता है। उन्होंने अपनी सौतेली विक्षिप्त मां की खिदमत करके समाज में एक अनमोल मिसाल कायम की उनकी इस खिदमत में शाना बशाना रही उनकी ज़ौजा शमीम फातिमा,
जहां लोग इस तरह की जिम्मेदारी से बचने की कोशिश करते हैं, वहीं नैय्यर चचा और उनकी ज़ौजा ने इसे न केवल अपने फर्ज़ के तौर पर अपनाया, बल्कि इसे इबादत का दर्जा दिया।
उन्होंने अपनी मां की देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनकी बीमारी और मानसिक अस्थिरता के बावजूद, उन्होंने सब्र और मोहब्बत के साथ उनकी सेवा की। नैय्यर चचा ने इस खिदमत को खुदा की रहमत पाने का ज़रिया समझा। समाज आज भी इस बात की गवाही देता है कि उन्होंने अपनी मां के प्रति जो फर्ज अदा किया, उससे उन्हें न केवल अल्लाह का सुकून मिला, बल्कि समाज में एक ऐसी इज्जत भी मिली जो किसी दौलत या शोहरत से नहीं खरीदी जा सकती।
*अम्बर प्रिंटिंग प्रेस और अम्बर पैकेजिंग प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक*
सैयद यूसुफ अब्बास रिज़वी नगरामी उर्फ नैय्यर चचा की पहचान न केवल एक नेकदिल इंसान के रूप में थी, बल्कि वह एक दूरदर्शी उद्यमी भी थे। उन्होंने अम्बर प्रिंटिंग प्रेस और अम्बर पैकेजिंग प्राइवेट लिमिटेड की नींव रखी। उनके विज़न और मेहनत ने इन संस्थाओं को कामयाबी की बुलंदियों पर पहुंचाया। यह उनके व्यापारिक कौशल और ईमानदारी का नतीजा था कि आज भी इन संस्थाओं का नाम सम्मान के साथ लिया जाता है।
*इंसानियत की खिदमत का जज़्बा: अम्बर फाउंडेशन*
सैयद यूसुफ अब्बास रिज़वी नगरामी उर्फ नैय्यर चचा का जज़्बा सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं था। उन्होंने समाज की खिदमत को हमेशा अपनी प्राथमिकता दी। उनकी इंसानियत और समाजसेवा के जज़्बे को आगे बढ़ाने के लिए अम्बर फाउंडेशन की स्थापना की गई। यह फाउंडेशन उनकी विरासत को जिंदा रखते हुए समाज के जरूरतमंद लोगों की मदद और विकास के कामों में सक्रिय है। उनकी यह पहल यह साबित करती है कि वह न केवल एक सफल उद्यमी बल्कि इंसानियत के सच्चे पैरोकार भी थे।
*लखनऊ में घर और आज़ादारी की शुरुआत*
सैयद यूसुफ अब्बास रिज़वी नगरामी उर्फ नैय्यर चचा ने सज्जाद बाग, लखनऊ में एक घर बनवाया और वहां आज़ादारी का सिलसिला शुरू किया। यह न केवल उनके धार्मिक जज़्बे का प्रतीक था, बल्कि यह भी दिखाता है कि उन्होंने अपनी जिंदगी को मज़हब और इंसानियत की सेवा में समर्पित कर दिया। सज्जाद बाग में उनका घर आज भी उस रौशनी का अक्स है जो उन्होंने समाज को दी।
*बेहतरीन तर्बियत और तहजीब का वरसा*
नैय्यर चचा ने अपने बच्चों— *वफा अब्बास, शुजा अब्बास, फिदा अब्बास और निदा*—की ऐसी परवरिश की जो आज लखनऊ जैसे नवाबों के शहर की तहजीब और तमीज की मिसाल बने हुए हैं। उनकी तर्बियत ने यह साबित किया कि एक पिता की मेहनत और दुआएं बच्चों के किरदार को कैसे बेमिसाल बना सकती हैं। उनके बच्चे आज न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे समाज की शान और पहचान हैं।
*नेतृत्व की विरासत: वालिद सैयद अली अब्बास रिज़वी*
सैयद यूसुफ अब्बास रिज़वी नगरामी उर्फ नैय्यर चचा को नेतृत्व और खिदमत की भावना अपने वालिद सैयद अली अब्बास रिज़वी से विरासत में मिली। उनके वालिद ने भारत की आजादी से लेकर नगराम नगर पंचायत बनने तक प्रधान की जिम्मेदारी संभाली। उनका मकान आज भी नगराम में सबसे ऊंची जगह पर बना हुआ है और उनकी सेवा और योगदान की कहानी कहता है।
*यादों में जिंदा हैं नैय्यर चचा*
सैयद यूसुफ अब्बास रिज़वी नगरामी उर्फ नैय्यर चचा का नाम उनकी नेकदिली, इंसानियत, और समाजसेवा के लिए हमेशा याद रखा जाएगा। उनके व्यापार, इंसानियत और धार्मिक सेवाओं का अक्स अम्बर फाउंडेशन और उनके बच्चों के कामों में साफ झलकता है। नगराम और लखनऊ में उनकी यादें आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई हैं।
उनकी पांचवीं बरसी पर, हम यही दुआ करते हैं कि अल्लाह तआला उनकी मग़फिरत फरमाए और उनके बच्चों को उनके नक्शे-कदम पर चलते हुए और कामयाबी अता करे। सैयद यूसुफ अब्बास रिज़वी नगरामी उर्फ नैय्यर चचा एक ऐसे शख्स थे जिनकी यादें वक्त के साथ फीकी नहीं पड़ सकतीं, बल्कि उनकी जिंदगी दूसरों के लिए एक मिसाल बनी रहेगी।
*"नैय्यर चचा, आप हमेशा हमारी दुआओं और दिलों में रहेंगे।"*
*सैयद रिज़वान मुस्तफ़ा रिज़वी*
*9452000001srm@gmail.com*
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