Srm Desk
तहरीर: तेहरान में फरवरी 2022 की यादगार मुलाकात
ईरानी सेना के शहीद जनरल कासिम सुलेमानी का नाम मानवाधिकारों, इंसाफ, और उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई के लिए अमर हो चुका है। उनकी शहादत केवल ईरान ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में इंसानियत के लिए एक मिसाल बन चुकी है। उनकी बेटी ज़ैनब सुलेमानी ने फरवरी 2022 में ईरान के तेहरान में अपने घर पर भारतीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। भारत के उत्तर प्रदेश, लखनऊ, बाराबंकी, और नगराम के अंजुमनों और मोमिनीन की ओर से उन्हें ताज़ियत पेश की गई।
यह मुलाकात केवल सांत्वना तक सीमित नहीं रही, बल्कि एक ऐतिहासिक संवाद का हिस्सा बनी। इस अवसर पर ज़ैनब सुलेमानी ने अपने पिता की शहादत, उनकी मानवतावादी सोच, और भारत के प्रति अपने सम्मान को व्यक्त किया।
ज़ैनब सुलेमानी के विचार और उनके पिता की यादें
ज़ैनब सुलेमानी ने कहा:
> “मेरे पिता का सपना था कि मानवाधिकारों की रक्षा की जाए और उत्पीड़ितों के अधिकारों के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया जाए। उन्होंने सीरिया, इराक, लेबनान, और गाजा की लड़ाई में ज़ायोनीवाद और अमेरिकी साम्राज्यवाद के खिलाफ युद्ध लड़ा। उनकी बहादुरी और इंसानियत आज भी लाखों दिलों में जिंदा है।"
उन्होंने बताया कि शहीद जनरल सुलेमानी केवल एक सैन्य नेता नहीं थे, बल्कि एक दयालु पिता और सच्चे इंसान थे।
> "मेरे पिता को अपने बच्चों के जन्मदिन याद रहते थे और वे हमें युद्ध के मैदान से बधाई देते थे। उन्होंने मासूम बच्चों के दर्द को गहराई से महसूस किया। सीरिया और इराक में आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई के दौरान जब उन्होंने किसी मासूम को रोते हुए देखा, तो उनकी आंखों से आंसू बह निकलते।"
भारत और भारतीय संघर्ष के प्रति सम्मान
ज़ैनब सुलेमानी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष की सराहना करते हुए कहा:
> "भारत और वहां के लोगों के लिए मेरे मन में बहुत सम्मान है, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के दौरान महान संघर्ष के माध्यम से अपने देश को आजाद कराया। धर्म, रंग, या पंथ से परे इंसानियत की रक्षा करना हर इंसान का फर्ज है। मैं चाहती हूं कि एक दिन भारत जाकर वहां के लोगों से मिलूं।"
उन्होंने भारत के मुसलमानों और मोमिनीन की ओर से शहीद जनरल कासिम सुलेमानी के प्रति दिखाए गए प्रेम और सम्मान की प्रशंसा की।
रिज़वान मुस्तफा की ओर से भारतीय श्रद्धांजलि का वर्णन
इस मुलाकात के दौरान भारतीय प्रतिनिधि रिज़वान मुस्तफा ने भारतीय मीडिया और जनसामान्य के शहीद जनरल कासिम सुलेमानी के प्रति श्रद्धा के बारे में बताया। उन्होंने लखनऊ में मौलाना कल्बे जवाद नकवी और तंजीमुल मकातिब के सचिव मौलाना सफी हैदर के नेतृत्व में हुई मजलिसों का ज़िक्र किया।
उन्होंने भारत की राम नगरी अयोध्या के वसीका अरबी कॉलेज द्वारा शहीद के लिए आयोजित शोक सभाओं की भी जानकारी दी। नगराम, लखनऊ, और बाराबंकी के मोमिनीन द्वारा पेश की गई श्रद्धांजलि का ज़िक्र करते हुए उन्होंने ज़ैनब सुलेमानी को भारत आने का निमंत्रण दिया।
शहीद जनरल सुलेमानी की शहादत के मायने
जनरल सुलेमानी का जीवन उत्पीड़ितों की रक्षा के लिए समर्पित था। उन्होंने सीरिया और इराक में अमेरिकी साम्राज्यवाद के सपनों को चकनाचूर किया और आतंकवादी संगठनों को जड़ से उखाड़ फेंका। ज़ैनब सुलेमानी ने कहा:
> “आज भी अमेरिकी साम्राज्यवाद और उसका मीडिया मेरे पिता के नाम को मिटाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन यह ईश्वरीय परंपरा है कि सच्चाई की लड़ाई अंततः विजय पाती है।"
उन्होंने यह भी कहा कि उनके पिता ने हमेशा सत्य की लड़ाई को प्राथमिकता दी और यह सिखाया कि ज़ायोनीवाद और साम्राज्यवाद के खिलाफ खड़ा होना इंसानियत का कर्तव्य है।
भारत और ईरान: शहीद की स्मृतियों से जुड़े रिश्ते
शहीद जनरल सुलेमानी की बेटी की यह मुलाकात न केवल उनके पिता की स्मृतियों को जीवित रखने का एक प्रयास थी, बल्कि भारत और ईरान के लोगों के बीच इंसानियत और सत्य के साझा मूल्यों को भी दर्शाती है।
एक यादगार श्रद्धांजलि
शहीद कासिम सुलेमानी की बेटी ज़ैनब सुलेमानी का भारत के प्रति प्रेम और उनके विचार भारतीय समाज और युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा हैं। उनकी शहादत का संदेश यही है कि इंसानियत, सत्य, और न्याय की लड़ाई कभी खत्म नहीं होती। यह हमेशा उन लोगों के माध्यम से जिंदा रहती है, जो अपनी आवाज़ को अन्याय के खिलाफ बुलंद करते हैं।
शहीद कासिम सुलेमानी और उनके विचारों को याद करते हुए भारत के मोमिनीन ने एक बार फिर यह साबित किया है कि सच्चाई और इंसानियत की लड़ाई में सीमाएं कोई मायने नहीं रखतीं।
#QassemSoleimani #ZainabSoleimani #IndiaIranRelations #Martyrdom #HumanRights #Unity #SpecialReport #RespectForIndia #Barabanki #Lucknow #Nagaram #Shahadat