"हक की लड़ाई: जुल्म के साए में अल्लाह का सहारा और इंसानी हमदर्दी का मरहम"
मुश्किलें, हमदर्दी और सुकून का रिश्ता
हर इंसान की ज़िंदगी में मुश्किल घड़ियां आती हैं। इन कठिन समयों में, एक सच्चा सहारा और मददगार कंधा, इंसान के दुःखों को हल्का कर देता है और उसे राहत व सुकून का एहसास कराता है। कभी सोचा है, जब आप परेशान होते हैं और कोई आपको दिलासा देता है, तो वह इंसान उस वक्त दुनिया का सबसे प्यारा इंसान क्यों लगता है? ऐसा इसलिए क्योंकि उसके शब्द आपके लिए मरहम बन जाते हैं और दिल को सुकून पहुंचाते हैं।
ज़िंदगी की इन मुश्किलों और अनुभवों ने मुझे यह सिखाया कि इंसानी हमदर्दी और अल्लाह की मदद किस कदर मायने रखती है। मेरे अपने परिवार और दोस्तों का साथ, और अल्लाह पर मेरा यकीन, मुझे हर तूफान से लड़ने की ताकत देता रहा। मेरी कहानी ऐसी ही चुनौतियों और संघर्षों से भरी हुई है, लेकिन हर कठिनाई के पीछे मुझे अल्लाह की रहमत और इंसानी मोहब्बत का सहारा मिलता रहा।
हक की आवाज़ और जुल्म की इंतिहा
1988 में मेरे सबसे पहले भाई नासिर मुस्तफा फरहान का इंतेकाल हुसैन टेकरी में हुआ। इसके बाद, मेरे पापा का मई 2010 में इंतकाल हुआ और मेरी अम्मी का अप्रैल 2020 में। इन दुखद घड़ियों में हमारे बहुत से दोस्त, रिश्तेदार और अहबाब ने हमारी हिम्मत बढ़ाई। उनकी गले लगाने वाली मोहब्बत और अपनेपन का जो एहसास मिला, वह आज भी मेरे दिल में बसा हुआ है।
हालांकि, मेरी ज़िंदगी का सबसे कठिन दौर तब आया जब मैंने बाराबंकी की करबला कब्रिस्तान और औक़ाफ़ की जमीनों के बचाने के लिए संघर्ष भू माफियायो, वक्फ बोर्ड के चेयरमैन और वक्फ खोरों से शुरू कर दिया। अवैध कब्जा करने वालों के खिलाफ मुहिम चला दी। वही कुरान और अल्लाह के खिलाफ बदजुबानी करने वाले एक नामी गिरामी दुराचारी के खिलाफ खड़े होकर हक की आवाज़ उठाई। बाराबंकी के खामोश 10 लाख मुसलमानों के बीच मैंने अपनी कलम और जुबान से मोर्चा खोला। इसके बाद, मेरे खिलाफ ज़ुल्म की इंतिहा कर दी गई।
बुलडोजर के साए में कोतवाली के बगल का मेरा ऑफिस लूट लिया गया।
मेरे खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज कराए गए।
मेरे घर पर बुलडोजर और गोली मारने तक की तैयारी की गई।
मेरी माँ को धमकियां दी गईं, और इसी सदमे में उनका इंतकाल हो गया।
लेकिन जब अल्लाह और कुरान का अपमान करने वाले जालिम खुराफाती सामने हों, तो उनसे कभी डरना नहीं चाहिए। उनसे आँख में आँख डालकर बात करनी चाहिए। वे चाहें सब कुछ बर्बाद कर दें, लेकिन आखिरकार सब कुछ उसी रब का दिया हुआ है। जो सच्चाई के लिए खड़ा होता है, उसका सहारा अल्लाह खुद बनता है।
अल्लाह का सहारा और दोस्तों की मोहब्बत
इन तमाम मुश्किलों के बावजूद, मेरा रब हमेशा मेरे साथ था। मेरे इमाम का साया मेरे ऊपर था। मेरे कुछ सच्चे दोस्त और रिश्तेदार अल्लाह की तरफ से मेरे लिए सुकून और सहारा बने। उन्होंने हर मुश्किल घड़ी में मेरा साथ दिया, मुझे हिम्मत दी और मुझे इस लड़ाई में अकेला नहीं छोड़ा।
हमदर्दी और राहत का फलसफा
हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया है कि "जो किसी के लिए आसानी पैदा करेगा, अल्लाह उसके लिए हर मुश्किल आसान कर देगा।" जब आप किसी के मुश्किल समय में उसकी मदद करते हैं, तो अल्लाह आपके कठिन समय में ग़ैबी मदद भेजता है। क्योंकि अल्लाह अपने बंदों से बेहद मोहब्बत करता है।
इसलिए, आइए दूसरों के दर्द को बांटें, उनकी तकलीफों में उनका साथ दें। यकीन मानिए, ऐसा करने से न सिर्फ उनकी ज़िंदगी आसान होगी, बल्कि आपके अपने ग़म भी छोटे और हल्के लगने लगेंगे। अल्लाह की रहमत और इंसानी मोहब्बत से बड़ी कोई ताकत नहीं।
सैयद रिज़वान मुस्तफा