इस दुनिया में अक्सर लोग दूसरों की राय और उनकी बातों की परवाह में अपनी जिंदगी बर्बाद कर देते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि इंसान की असली पहचान उसके किरदार से होती है, और अल्लाह के सामने हमारा किरदार सबसे ज्यादा अहमियत रखता है। दुनिया के लोग आपकी तारीफ करें या बुराई, यह सब फिजूल है, क्योंकि अंत में हमारा हिसाब-किताब सिर्फ अल्लाह के साथ होना है।
अल्लाह ने हमें इस धरती पर एक मकसद के लिए भेजा है। उसकी नजर में वही इंसान सबसे बेहतर है जो उसके बताए हुए रास्ते पर चलता है। याद रखें, जिसे अल्लाह ऊंचा मकाम देता है, उसे दुनिया की ताकत भी गिरा नहीं सकती। और जिसे अल्लाह गिराता है, उसे दुनिया की कोई ताकत उठा नहीं सकती। इसीलिए हमें सिर्फ अल्लाह का हुक्म मानना चाहिए और अपनी जिंदगी को उसके बताए हुए नियमों के मुताबिक ढाल लेना चाहिए।
*अल्लाह के नाम पर वक्फ की गई जमीनों की हिफाजत करें*
हमारी जिम्मेदारी सिर्फ अपनी जिंदगी को अल्लाह के हुक्म के मुताबिक ढालने तक सीमित नहीं है, बल्कि उन नेमतों और अमानतों की भी हिफाजत करनी है जो अल्लाह ने हमें दी हैं। वक्फ की गई जमीनें भी उन्हीं अमानतों में शामिल हैं। यह जमीनें अल्लाह के नाम पर उसके बंदों की भलाई के लिए वक्फ की जाती हैं। लेकिन आज के दौर में इन जमीनों पर कब्जा करने और उन्हें अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने का सिलसिला बढ़ता जा रहा है।
ऐसे में हर मोमिन की जिम्मेदारी बनती है कि वह इन जमीनों की हिफाजत के लिए आगे आए। बगैर किसी डर और परवाह के, हमें यह यकीन रखना चाहिए कि अल्लाह हमारे साथ है। जब तक हम ईमानदारी और सच्चाई के रास्ते पर होंगे, वही रब हमारा मददगार रहेगा। वक्फ की जमीनें न केवल गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए हैं, बल्कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि इन्हें अल्लाह के बताए हुए मकसद के लिए सुरक्षित रखें।
*दुनियावी मकसद और अल्लाह का रास्ता*
आज के दौर में लोग अपने दुनियावी मकसद के पीछे भागते हैं। इज्जत, शोहरत, पैसा, और ताकत हासिल करना उनकी जिंदगी का मकसद बन चुका है। लेकिन हमें यह सोचना चाहिए कि यह सब सिर्फ अस्थायी है। जिस इज्जत और मकाम के लिए हम इतनी मेहनत करते हैं, वह केवल अल्लाह की मर्जी से मिलता है। अगर हम अपनी जिंदगी को अल्लाह के आदेश के अनुसार नहीं ढालते, तो ये सब दौलत और शोहरत किसी काम की नहीं है।
*अल्लाह पर भरोसा और सही रास्ता अपनाना*
हमें अपने हर फैसले और हर कदम में यह देखना चाहिए कि क्या यह अल्लाह के बताए हुए रास्ते के मुताबिक है। अगर हमारी जिंदगी का हर पहलू उसकी मर्जी के अनुसार होगा, तो न केवल हमारी जिंदगी में सुकून होगा, बल्कि आख़िरत में भी हमारा हिसाब आसान होगा। वक्फ की जमीनों की हिफाजत करना भी इसी रास्ते का हिस्सा है। अल्लाह पर भरोसा रखें और उसके हुक्मों को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाएं।
*आखिर में हम और हमारा रब*
इस बात को हमेशा याद रखें कि जिंदगी का सफर अकेले तय होता है। आखिर में न तो दुनिया का कोई इंसान हमारे साथ होगा और न ही उनकी राय। आखिरी दिन सिर्फ हम होंगे और हमारा रब। उस दिन वही काम आएगा जो हमने अल्लाह के लिए किया होगा। अपने किरदार को इतना मजबूत बनाइए कि अल्लाह के सामने आप सर ऊंचा कर सकें। वक्फ की जमीनों की हिफाजत करना उसी किरदार का हिस्सा है।
लोगों की परवाह छोड़ दीजिए और अल्लाह को अपना मकसद बना लीजिए। वही हमारा रब है, वही हमारा मालिक है, और वही हमें ऊंचा मकाम देने वाला है। अपनी जिंदगी को उसकी मर्जी के मुताबिक ढाल लीजिए। वक्फ की जमीनों को बचाने के लिए एकजुट हो जाइए, क्योंकि यह अल्लाह की अमानत है। हमें यह यकीन रखना चाहिए कि जब तक हम सच्चाई और ईमानदारी के रास्ते पर हैं, अल्लाह हमारी मदद करेगा। आखिर में, यह सब हमारी जिम्मेदारी है, क्योंकि आखिरी दिन सिर्फ हम होंगे और हमारा रब।
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